देवउठनी एकादशी व्रत महात्मय
देवउठनी एकादशी आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कहते हैं। इसमें भगवान विष्णु जागते हैं। इस कारण इसका देवोत्थानी नाम भी कहा गया है। इसके माहात्म्य की कथा ब्रह्मा जी ने नारद ऋषि से कही थी। जिसके हृदय में प्रबोधनी एकादशी का व्रत करने की इच्छा उत्पन्न होती है, उसके सौ जन्म के पाप भस्म हो जाते हैं और जो इस व्रत को विधिपूर्वक करता है, उसके अनन्त जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं
इस दिन श्रीहरि की सबसे प्रिय तुलसी की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन तुलसी की पूजा करने से विष्णु भगवान के साथ ही मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है। तुलसी को माता लक्ष्मी का रूप माना गया है। इस दिन तुलसी को पूजने से अगर आपके घर में आर्थिक समस्याएं काफी समय से चल रही हैं तो वह भी दूर होती हैं। देवउठनी एकादशी के दिन से ही शादी ब्याह जैसे सभी शुभ कार्य आरंभ हो जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की सच्चे मन से उपासना करता है। उसके जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति के जीवन में आ रही समस्याओं से भी उसको छुटकारा मिलता है। वैसे तो सालभर में आने वाली सभी एकादशी तिथियों को बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन, देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। यह बाकी एकादशी की तुलना में अधिक फलदायी मानी गई है। इसलिए इस दिन कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। आइए जानते हैं देव उठनी एकादशी के दिन क्या करें क्या न करें। जानें देवउठनी एकादशी के नियम।
देव उठनी एकादशी के नियम, क्या करें क्या न करें
1.देवउठनी एकादशी के दिन भगवान को जगाने के बाद उन्हें रथ पर बैठाकर भ्रमण कराना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, राजा बलि ने ऐसा किया था जिसे उन्हें अपना खोया हुआ राज्य वापस मिल गया था। यदि आपके पास रथ नहीं है तो भगवान विष्णु को एक आसन पर बैठाएं और फिर चार लोग उनके आसन को चारों तरफ से उठा लें। इसके बाद उन्हें भ्रमण कराएं। ऐसा करने से आपको अपने सभी कष्टों से छुटकारा मिलेगा।
2.इसके अलावा देवउठनी एकादशी के दिन सभी के घरों में अष्टदल बनाया जाता है। इस दिन सभी के घर में जाकर कम से कम अष्टदल के दर्शन करने चाहिए। कम से कम पांच घरों में जाकर आप अष्टदल के दर्शन करें। ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
3.देवउठनी एकादशी वाले दिन चावलों को कुछ समय के लिए भिगोकर रख दें। इसके बाद उन चावलों को पीस लें। इसके बाद इससे अनाज रखने के बर्तन का निर्माण करें। फिर इसके अंदर विभिन्न प्रकार के अनाज रखें। यदि आपसे चावल पीसकर अनाज का बर्तन नहीं बनता है तो अष्टदल बनाकर उसपर सात प्रकार के अनाज रख दें। इसके अलावा इस दिन जरुरमंद लोगों को दान करना चाहिए। ऐसे करने से पुण्य प्राप्त होता है।
4.देवउठनी एकादशी का महत्व बाकी एकादशियों की तुलना में सबसे अधिक है। इसलिए इस दिन जो लोग भी व्रत रखते हैं उन्हें व्रत के पारण में कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। एकादशी का व्रत रखकर जब आप द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करें तो सबसे पहले आंवले और तुलसी के पत्ता का ही सेवन करें। इसी से व्रत का पारण करना चाहिए।
5.तुलसी की अच्छे से साफ सफाई करके दीपक जलाएं। चुनरी ओढ़ाएं और सुहाग सामग्री चढ़ाएं।
6.देवउठनी एकादशी का दिन तुलसी विवाह कराने का भी विधान है। ऐसे में इस दिन तुलसी की साफ सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए। इस दिन तुलसी माता को लाल रंग की चुनरी ओढ़ाएं और सभी सुहाग की सामग्री भी तुलसी माता को अर्पित कर दें।
7.देवउठनी एकादशी के दिन सुहागिन महिलाओं को अपने कुल के देवी देवता की पूजा करनी चाहिए। इस दिन अपने कुल देवी देवता को भी उठाया जाता है।
देवउठनी एकादशी पर न करें ये काम
1.देवउठनी एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए। जो लोग व्रत कर रहे हैं उनके अलावा भी बाकी सभी लोगों को इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा जो लोग देवउठनी एकादशी का व्रत कर रहे हैं उन्हें मूली नहीं खाना है बैंगन नहीं खाना है साग नहीं खाना चाहिए।
2.देव उठनी एकादशी का व्रत रखने के बाद व्रत का पारण होने के बाद द्वादशी तिथि में सोना नहीं चाहिए। यदि आपको नींद आ गई है तो तुलसी का पत्ता तकिए के नीचे रखकर सो सकते हैं।
विवाह में देरी के लिए करें ये उपाय
यह उपाय विशेष रूप से उन युवाओं के लिए फायदेमंद माना गया है। जिनके विवाह में किसी कारणवश देरी हो रही है या कोई रुकावट आ रही है। ऐसे जातक तुलसी विवाह के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी से प्रार्थना करें कि विवाह में आ रहीं सभी रुकावटें समाप्त हों। इसके साथ ही तुलसी के पौधे को दूध में गन्ने का रस मिलाकर अर्पण करें। ऐसा करने से विवाह में आ रही सभी बाधाएं खत्म होती हैं और विवाह के अवसर शीघ्र उत्पन्न होते हैं।
ऐसा करने से होगी धन प्राप्ति
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देव उठनी एकादशी पर तुलसी पूजन अति आवश्यक माना जाता है। इस देव उठनी एकादशी के शुभ अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा करते समय केसर, हल्दी और पीले चंदन से तिलक करना चाहिए। इसके साथ ही तुलसी के पौधे को गन्ने का रस अर्पित करना लाभकारी माना जाता है। तुलसी के पौधे के समीप देसी घी का दीपक जलाकर रखें और परिवार के लोगों के साथ आरती करें। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही धन की कमी समाप्त हो जाती है।
अगर आप कर्ज से मुक्ती चाहते हैं तो देवउठनी एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करें और शाम को पेड़ के नीचे दीप जलाएं। मान्यता है कि इन उपायों को करने से व्यक्ति को जल्द ही कर्ज से छुटकारा मिलता है।
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